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शुक्रवार, 15 जनवरी 2016

    ~हिन्द के फौजी (कविता)~

    ~हिन्द के फौजी~
टूट चुका है हिन्दोस्तां एक बार
अब फिर न इसको टूटने देना
मजहबपरस्त एक बार कामयाब हुए
अबके न किसी को कामयाब होने देना।।

गद्दार बशर लाख करें कोशिश
निगहबानों दुश्मन को धूल चटा देना
किस मजहब ने सिखाया खूंरेजी
फरेबियों को रास्ता दोजख का दिखा देना।।

जो दुश्मन आँख उठाकर देखे भी सही
हिन्द के फौजी खुदा के घर उसे पहुँचा देना
नाज है हमें इस जन्नत ओ मुल्क पर
हिफाजत के लिए दाँव पर सब कुछ लगा देना

माँ के दूध की रखी है तुमने लाज
अपने हौसले दिखा दुनिया को बता देना
जाँ की भी परवाह न कर इस मुल्क को
हमेशा के लिए अपना कर्जदार बना लेना।।

जमाना दाँतों तले दबा ले उँगली
बहादुरीभरा वो कारनामा दिखा देना
हर आँख अश्कजदा हो जाए
कुर्बानी का वो जज्बा दिखा देना।।
      -संजय त्रिपाठी





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