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शुक्रवार, 1 जनवरी 2016

   ~ नववर्ष - कामना (कविता) ~

   नववर्ष पर शुभकामनाओं के साथ

      ~ नववर्ष - कामना ~

जीवन स्वयं में एक संघर्ष पर
उसका अध्याय एक समाप्त हुआ
नैराश्य पर आशा जीत गई
वर्षों बाद अभीप्सित प्राप्त हुआ

संत सदृश पैरवीकार जो रहे मेरे
विधिविद असित के प्रति नतमस्तक हूँ
न्यायालय के मंदिरों से न्याय मिला
न्यायाविदों के प्रति मैं श्रद्धावनत हूँ

दुनिया के मायाजाल से विरत हो
गंगा किनारे लगा लिया था मन
अपना काम और साहित्य अध्ययन
बिता रहा था तापस सा जीवन

अभिलाषाएं न रह गईं जीवन में
अनचाहे मन को सौभाग्य प्राप्त हुआ
आभारी हूँ उनका जिन्होंने वर्षांत में
मुझे शिखर पर लाकर आप्त किया

उन शीर्ष विभागीय महाजनों का
मैं कैसे कृतज्ञताज्ञापन कर पाऊँ
जिन्होंने मुझमें व्यक्त विश्वास किया
बस भरोसे भर उनके काज कर जाऊँ

आगे बढ़ने की होड़, धक्का देने में
 कुछ जन को संकोच नहीं आता है
कैसी रीति इस चेतन जगत में
यह मैं कभी समझ न पाता हूँ

मनुज के विवेक की अविवेक पर
हो जय यही अभिलाषा रखता हूँ
यही सभी समस्याओं का समाधान
नववर्ष के लिए यही कामना रखता हूँ
-संजय त्रिपाठी




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