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मंगलवार, 29 दिसंबर 2015

डायल नं. 100 फार दिल्ली पुलिस ( आप बीती)

        मैं दिनांक 28 दिसंबर 2015 को एक बैठक में भाग लेने कोलकाता से दिल्ली गया था। मैंने एक ब्रीफकेस में एक जोड़ी कपड़े, एक ऊनी शाल, स्लीपर, शेविंग किट एवं सोप इत्यादि रोजमर्रा की जरूरत का सामान,आते समय का एयर टिकट और बोर्डिंग पास, आई सी आई सी आई बैंक का डेबिट कार्ड और कुछ साहित्य लेखन जो मैं कर रहा था ,वह एक फोल्डर में सहेज रख दिया था। बैठक लगभग पौने एक बजे समाप्त हुई। एक अधिकारी ने मुझसे चाय पीने का आग्रह किया और मैं पन्द्रह मिनट के बाद बाहर निकला और साउथ ब्लाक के सामने आटो देखने लगा। एक आटो के इनकार के बाद दूसरे आटो वाले ने मुझे शिवाजी स्टेडियम मेट्रो स्टेशन 60 रुपए में ले जाना मंजूर किया जहाँ से मुझे एयरपोर्ट के लिए पाँच बजे कोलकाता की निर्धारित वापसी उड़ान हेतु मेट्रो पकडनी थी। आटो वाले ने मुझे लगभग एक दस पर शिवाजी स्टेडियम पर उतार दिया, मैंने उसे पैसे दिए और तभी मेरे एक मित्र का फोन आने लगा, मैं मित्र से बात करने लगा । मेरा ब्रीफकेस अभी आटो में ही था।मैंने बात समाप्त होने पर नजर उठाई तो आटो जा चुका था। 
        मीटिंग की फाइल मेरे पास थी, वापसी का एयर टिकट और पैसे तथा एक और डेबिट कार्ड मेरे कोट की जेब में थे। मैंने फिर से उन्हीं मित्र से बात की जो दिल्ली के स्थानीय हैं। उन्होंने मुझे 100 नं डायल करने का सुझाव दिया।इसके साथ ही 100 नं की कहानी शुरू होती है।
        100 नं पर फोन एक महिला ने उठाया और बात सुनने पर मुझसे पूछा कि क्या मुझे आटो का नं याद है? मैंने कहा नहीं। फिर उसने मुझसे थाना क्षेत्र पूछा। मैंने कहा मुझे नहीं मालूम, मैं बाहरी आदमी हूँ। फिर उसने ही मुझे बताया कि संबन्धित क्षेत्र कनाट प्लेस थाने के अंतर्गत आता हैं। मैंने थाने की स्थिति से अनभिज्ञता जाहिर की।मैंने कहा कि मैं दिल्ली से बहुत वाकिफ नहीं हूँ। महिला ने कहा कि वह मेरे पास किसी को भेज रही है।
       इस बीच मैंने वहाँ खड़े आटो वालों से दरियाफ्त की। उन लोगों ने कहा कि अगर उसी स्टैंड का आटो होता तो वे खोज सकते थे । पर दूसरे स्टैंड का आटो होने पर बिना नं के ढूँढ पाना मुश्किल है। पर एक आटो वाले ने कहा कि वहाँ सी सी टी वी कैमरा लगा हुआ है और उसमें देखने पर आटो का नं पता लग जाएगा।
         इस बीच मुझे ब्रीफ केस में रखे डेबिट कार्ड का ख्याल आया। मैंने अपने एक मित्र को बैंक का एकाउंट नं बताकर डेबिट कार्ड लाक करवाने के लिए कहा। मित्र तकनीकी निपुणता रखते हैं। उन्होंने कार्ड तुरंत आनलाइन लाक कर दिया और मेरे मोबाइल में मेसेज आ गया।
        मैंने दो बजे तक 100 नं के आश्वासन के फलीभूत होने का इंतजार दिया। दो बजे के बाद मैंने 100 नं पुन: डायल दिया। इस बार किसी पुरुष ने फोन उठाया। उसने मुझे कहा कि मैं यथास्थान खड़ा रहूँ और जल्दी ही कोई मेरे पास पहुँचेगा। जब ढाई बज गए तो मैंने पुन: 100 नं डायल किया । इस बार फिर किसी पुरुष ने फोन उठाया। उसने पूरी कहानी और दो बार 100 नं डायल करने की बात बताने पर कहा कि वह किसी को भेज रहा है । मैंने कहा मैं अब और इंतजार नहीं कर सकता हूँ क्योंकि मुझे पाँच बजे फ्लाइट पकड़नी है। उसने कहा कि मैं थोड़ी देर रुकूँ। मैंने कहा कि ठीक है मैं पन्द्रह मिनट और रुकता हूँ। फिर उसने मुझे कनाट प्लेस पुलिस स्टेशन जाने का सुझाव दिया। यह कहने पर कि मेरे पास ज्यादा समय नहीं है उसने कहा कि जहाँ मैं खड़ा हूँ वहाँ से पुलिस स्टेशन ज्यादा दूर नहीं है,बमुश्किलन पाँच मिनट लगेगा, मैं किसी से पूछकर चला जाऊँ। खैर मैं पूछने के लिए आटो स्टैंड से नीचे उतरने को ही था कि फोन आ गया और फोन दिल्ली पुलिस का था। मुझसे बात करने वाले पुलिसकर्मी ने कहा कि मैं कहाँ खडा हूँ वे लोग देख नहीं पा रहे हैं। थोड़ी देर बातचीत के बाद मैं उनकी पी सी आर वैन लोकेट कर सका और वहाँ पहुँचा । पुलिसकर्मी ने मुझसे पूछ कर कुछ बातें नोट की फिर मुझसे पुलिस स्टेशन चलने का आग्रह किया। मैंने उससे कहा कि मुझे फ्लाइट पकड़नी है। पुलिसकर्मी ने कहा समय नहीं लगेगा मैं साथ आऊँ। खैर मैं पुलिस भाई के साथ कनाट प्लेस पुलिस स्टेशन पहुँचा जो पास में ही था। वहाँ इंसपेक्टर साहब ने मुझसे हाथ मिलाया, वाकया पूछा और तहरीर देने के लिए कहा। फिर एक महिला पुलिसकर्मी को मुझे उसकी फोटो प्रति देने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यदि मेरा ब्रीफ केस मिल जाता है तो मुझे लौटा दिया जाएगा। महिला पुलिसकर्मी से फोटो प्रति  लेकर मैं भागा क्योंकि तब तक साढ़े तीन बज चुके थे। शिवाजी स्टेडियम मेट्रो स्टेशन पहुँचने पर एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस के लिए दस मिनट इंतजार करना पड़ा। एयरपोर्ट में एयर इंडिया के काउंटर पर पहुँचते-पहुँचते चार बज गए। सवा चार बजे तक बोर्डिंग पास ईश्यू होना था। उसके लिए लंबी लाइन थी। खैर थोड़ी देर में एनाउंसमेंट हुआ कि कि अगर 764 नं की कोलकाता फ्लाइट के लिए कोई यात्री है तो आगे आ जाए।
परिणामस्वरूप मैं लाइन जंप कर आगे आ गया। मेरा बोर्डिंग पास देते हुए ट्रैफिक असिस्टेंट ने मुझे जल्दी जाने के लिए कहा। मैं भागते-भागते गेट 30 बी पर पहुंचा और अंततोगत्वा फ्लाइट बोर्ड कर सका।
       कोलकाता लैंड करने के बाद जब मैं घर पहुँचा तो श्रीमती जी ने ब्रीफकेस के बारे में दरियाफ्त की । उन्हें वास्तविकता बताई। इस पर उनका कहना था कि पिछले महीने मैंने सत्यनारायण भगवान की कथा करवाने से इंकार किया था इसीलिए मेरा सामान साधूराम बनिया के सामान की तरह गायब हुआ। दूसरे मैंने ब्रीफकेस से मद्भगवद गीता यह कह कर निकलवा दी थी कि सामान अधिक हो जाने के कारण उसे रखने के लिए जगह नहीं थी। गनीमत है कि मुझे साधूराम बनिया की तरह जेल नहीं जाना पड़ा। उन्होंने पाकेट साइज हनुमान चालीसा के बारे में पूछताछ की। वह मेरी पाकेट में है मैंने कहा। 'इसीलिए बच गए वरना साधूराम बनिया की तरह जेल चले गए होते' श्रीमतीजी का कहना था । बहरहाल मैंने श्रीमतीजी की बात मान ली है और जल्दी ही मेरे घर में सत्यनारायण व्रत कथा का आयोजन होने वाला हैं। चलिए देखते हैं जैसे साधूराम बनिया का सामान मिल गया शायद वैसे ही मेरा भी सामान मिल जाए!

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