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रविवार, 21 दिसंबर 2014

प्रधानमंत्रीजी को बोलना ही पडेगा!

          भाजपा की भगवा ब्रिगेड के सदस्यों के बयानों पर तो प्रधानमंत्रीजी ने संसद सदस्यों की बैठक में माननीयों को अपने बयान पार्टी के विकास और सुशासन के एजेंडे तक सीमित रखने की ताकीद कर दी है पर वे माननीयजन जो आजीवन इसी प्रकार की बयानबाजी करते आए हैं ,स्वयं को कितने दिन और कितना  नियंत्रित रख पाएंगे यह आने वाला समय ही बताएगा। इसके लिए प्रधानमंत्रीजी को समय-समय पर इनकी नकेलें कसते रहना पडेगा।

          पर हिन्दू महासभा और इसके बाद आर एस एस ,विश्व हिन्दू परिषद एवं संघ के अन्य आनुषंगिक संगठनों के सदस्यों एवं पदाधिकारियों द्वारा नाथूराम गोडसे ,धर्म परिवर्तन , कुछ वर्षों में भारत को हिन्दू राष्ट्र बना देने तथा ईसाई एवं मुस्लिम धर्मों को लेकर कही गई बातें निहायत ही सिरफिरेपन की एवं आपत्तिजनक हैं जो निश्चित रूप से सामाजिक सौहार्द्र को प्रभावित कर सकती हैं तथा प्रधानमंत्रीजी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर धार्मिक विवादों और झगडों पर दस वर्ष के लिए निषेध करने संबन्धी बात के विपरीत हैं। इनसे ऐसा लगता है कि जैसे प्रधानमंत्रीजी के विकास और सुशासन के एजेन्डे के समानान्तर कुछ लोग दूसरा एजेन्डा चलाना चाहते हैं। इसलिए भले ही संसद में गृहमंत्री बयान दें , राष्ट्र की जनता को प्रधानमंत्रीजी को यह संदेश देना ही पडेगा कि वे विकास और सुशासन के समानान्तर दूसरे एजेन्डे का अनुमोदन नहीं करते। प्रधानमंत्रीजी को इस देश की जनता ने विकास और सुशासन के नाम पर स्पष्ट एवं भारी बहुमत दिया है और कुछ लोगों के मतिभ्रम के कारण उनके प्रति आम जनता की सद्भावना और विश्वास पर आँच आए यह ठीक नहीं है। इसलिए प्रधानमंत्रीजी को सामाजिक सौहार्द्र को प्रभावित करने वाले किसी भी प्रयास को नकारने एवं नियंत्रित करने के साथ- साथ इस देश के लिए और इस देश की जनता के लिए बोलना ही पडेगा ।


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