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मंगलवार, 15 अप्रैल 2014

विकास का टॉफी माडल बनाम गैरविकास का लॉलीपाप माडल!

विकास का टॉफी माडल बनाम गैरविकासवाद का लॉलीपाप माडल
राहुल गाँधी ने सोमवार 14 अप्रैल को औरंगाबाद में विकास के नरेंद्र मोदी के गुजरात माडल की चर्चा करते हुए उसे विकास का टाफी मॉडल बताया है. उनका इसके पीछे तर्क यह है कि एक टाफी के औसत रेट रु. 1 प्रति की समान दर रू  1/- प्रति वर्गमीटर की दर से गुजरात में  अडानी ग्रुप को रू.300 करोड में 45000 एकड जमीन दे दी गई. राहुल ने यह भी कहा कि टाटा समूह को नैनो फैक्टरी लगाने के लिए 10,000 करोड का लोन दिया गया. आज  जबकि  सभी प्रगतिशील देश और प्रदेश अपने यहाँ रोजगार के सृजन हेतु कल-कारखाने एवम उद्यम की जरूरत को समझते हुए पूँजीनिवेश को प्रोत्साहित कर रहे हैं तथा उद्योगपतियों एवं उद्यमियों को अनेक रियायतें मुहैया करवा रहे हैं और पूँजी  भी  वहीं जा  रही है  जहाँ  उन्हें  अधिक सुविधाएं   और  रियायतें मिल रही हैं तब ऐसा कहने का यही मतलब समझ में आता है कि उद्योगपतियों को गाली देकर तथा उन्हें प्रोत्साहन देने  वाले राजनीतिज्ञों को उनका हितैषी दर्शाकर स्वयं को पाक-साफ जताया जाए तथा कुल मिलाकर जनता को भरमाया जाए. इस दृष्टिकोण के अनुसार तो  वही राजनीतिज्ञ भले हैं जिन्होंने जातिवाद  की  गोटियाँ खेलीं और उत्तरप्रदेश तथा बिहार जैसे प्रदेशों में कुछ नहीं किया तथा इन  राज्यों का विकास  करने के बजाय इन्हें और रसातल में पहुँचाया.

 पिछले दस वर्षों में नरेगा ,गैस सब्सिडी ,कर्ज माफी ,शिक्षा और खाद्य सुरक्षा अधिकार जैसी लेमनचूस जनता को थमाई जाती रही है. इसे गैरविकास का लालीपाप माडल कहा जाना चाहिए क्योंकि इस व्यवस्था में जनता को अपने पैरों पर खडी होने के काबिल बनाने की कोशिश करने के बजाय  उसे ऐसा बनाए रखने का प्रयास किया गया जिसमें जनता सदैव लालीपाप पाने  की चाह में राजनीतिज्ञों की तरफ तरफ लालसा भरी निगाहों से देखती रहे और उन्हें वोट देती रहे . इस लालीपाप माडल की अधिकांश लालीपाप वास्तविकता में इनके पीछे-पीछे करप्शन फैलने के कारण अर्थव्यवस्था के लिए रिसाव बिन्दु (लीकिंग प्वाइंट ) सिद्ध हुई हैं। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलौत ने तरह-तरह की रेवडियाँ बाँटकर विकास के  लालीपाप माडल को अपनी पराकाष्ठा पर पहुँचा दिया था पर राजस्थान की जनता ने इस लालीपाप माडल को पूरी तरह नकार दिया. दूसरी ओर टाफी माडल  वाले  नरेंद्र  मोदी को गुजरात की  जनता तीन बार से लगातार  चुन रही है जो यह दर्शाता है कि  विकास का टाफी माडल  उस लालीपाप माडल  से  बेहतर है जो वास्तविकता में गैरविकासवाद  का  माडल  है.

चलते-चलते
स्नेही बडी बहन या बडे भाई, छोटे भाई  या बहन का हमेशा ख्याल रखते हैं. बचपन में वे उसे टाफी-बिस्कुट खिलाते हैं पर वयस्क हो जाने पर भले  ही वे उसे किसी  गलती पर  डाँट  दें तो  भी उसकी  गलती को माफ कर देते हैं. पर प्रियंका ने सार्वजनिक रूप से वरुण को निगलने के लिए कडवी गोलियाँ दे दी हैं. मेरी आँखों के सामने आज भी वह छवि अंकित है जब इंदिरा गाँधी की चिता को अग्नि देते समय उनके परिवार के सभी सदस्य वहाँ मौजूद थे और प्रियंका ने वरूण की उँगली पकड रखी थी. पर आज जब प्रियंका ने विश्वासघात की बात कह दी है तो सवाल यह उठता है कि क्या गाँधी परिवार में अलग रह रही छोटी बहू का और उसके बेटे का ख्याल रखा जाता था ,क्या उनकी खोज-खबर ली जाती थी और गाहे-बगाहे उनकी कोई मदद की जाती थी अन्यथा जब रास्ते तभी अलग हो गए थे तो आज  रास्ता अलग होने की शिकायत कैसी. और जब रास्ते अलग हो जाएं तो बकौल किसी शायर के-" जब भी मिलें किसी मोड पर मुस्करा कर मिलें ,और कुछ नहीं तो दोस्ती का हक अदा हो जाएगा."   

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