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गुरुवार, 28 नवंबर 2013

मौन किसी प्रश्नचिह्न का उत्तर नहीं.

          गुजरात में सरकारी तौर पर  एक महिला आर्किटेक्ट की निगरानी किए जाने का मामला पिछले  दिनों बहुचर्चित रहा है. श्री अमित शाह जिनका इस मामले  में प्रत्यक्ष तौर पर सामने नाम आया है तथा श्री नरेंद्र मोदी जिन्हें श्री अमित शाह द्वारा किसी 'साहब' का जिक्र किए जाने के  कारण अप्रत्यक्ष तौर पर इससे संबंधित समझा जा रहा है;  दोनों ही इस मामले पर मौन हैं

          गुजरात सरकार ने इसकी जाँच के लिए एक दो सदस्यीय आयोग नियुक्त कर दिया है.परंतु यह बात  इस आयोग के जाँच के दायरे में नहीं है कि  ऐसा क्यों किया गया. इस मामले में भारतीय जनता पार्टी  की तरफ से सफाई के तौर पर महिला के पिता की तरफ से एक पत्र प्रस्तुत किया गया जिसमें उनके द्वारा कहा गया है कि उन्होने स्वयं इस बाबत श्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया था जो उनके  पारिवारिक मित्र हैं.श्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे उनके खिलाफ षडयंत्र बढेंगे और अरूण जेटली के अनुसार राहुल के मुकाबले नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को देखते हुए ऐसा  किया  जा रहा है.

          इस मामले में गुजरात के निलम्बित आई. ए.एस. अधिकारी श्री प्रदीप शर्मा ने श्री नरेंद्र मोदी पर सीधे आरोप लगाए हैं जो एक  तरह उनके चरित्र पर आक्षेप करते हैं. प्रदीप शर्मा का यहाँ तक कहना है कि श्री नरेंद्र मोदी से महिला आर्किटेक्ट का परिचय उन्होने ही करवाया था.अरूण जेटली का कहना  है कि प्रदीप  शर्मा द्वारा लगाए  गए आरोप बेबुनियाद हैं और निलम्बन के कारण लगाए  गए हैं.ऐसा  हो भी सकता है जिसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है.

          परंतु मौन किसी प्रश्न का उत्तर नहीं है वह भी तब, जब आप प्रधानमंत्री पद के उम्मीद्वार हों. सीताजी को भी अग्निपरीक्षा देनी पडी थी तथा एक धोबी द्वारा उनके बारे में शंका व्यक्त किए जाने पर  राम ने उनका परित्याग कर दिया था. श्री नरेंद्र मोदी अथवा अमित शाह में से किसी भी एक के द्वारा  यह स्पष्ट कर  देने पर कि इस प्रकार की निगरानी के पीछे क्या कारण थे,  संदेहों का निराकरण हो सकेगा अन्यथा दाल में कुछ् काला होने की संभावना को बल मिलेगा. राजनीति जिस निम्न स्तर पर उतर चुकी है वहाँ एक दूसरे पर हमले  करते हुए सारे  शिष्टाचार एवं मर्यादा को ताक पर रख दिया जा रहा है. ऐसे में यदि मोदी विरोधियों को एक मुद्दा मिला है तो वह उसे छोडने वाले नहीं हैं.

         लोकतंत्र की मर्यादा को देखते  हुए यह श्री नरेंद्र मोदी एवं अमित शाह का कर्तव्य है कि वे सच्चाई  को जनता के सामने लाएं.

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