hamarivani.com

www.hamarivani.com

शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

बडा कौन : यू. आर. अनंतमूर्ति ,मोदी या फिर देश ?

          अनंतमूर्ति दादा आपने बयान दिया है कि यदि मोदी प्रधानमंत्री बने तो मैं देश छोडकर चला जाऊँगा.आपके इस कथन पर कुछ भी कहने से पहले मैं यह स्पष्ट कर दूँ कि बतौर साहित्यकार मेरे हृदय में आपके लिए अपार आदर है.

          मैं यह नहीं समझ पा रहा हूँ कि आपने उपर्युक्त बयान देकर अपना दर्जा बढाया है या फिर मोदी का दर्जा बढाया है. आप पर इस देश की अपेक्षा मोदी का व्यक्तित्व हावी हो गया है अथवा फिर आपका सोचना है कि उन दोनों से ऊपर मैं हूँ. सन 1971 में पाकिस्तान से हुई लडाई और बांगलादेश की आजादी के कुछ दिनों के बाद तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल मानेकशा ने एक बयान दिया था कि आजादी के समय जिन्ना ने मुझे पाकिस्तान आ जाने के लिए कहा था और अगर मैं पाकिस्तान चला गया होता तो इस लडाई में भारत हार गया होता. मानेकशा के इस बयान पर उस समय लोकसभा के उपाध्यक्ष श्री जी जी स्वेल ने मानेकशा को गीता पढने की सलाह दी थी. मैं नहीं समझ पा रहा हूँ कि मैं छोटे मुँह बडी बात कहने की और आपको कुछ सलाह देने की जुर्रत कैसे करूँ. कभी-कभी महिमामंडित व्यक्तित्वों के साथ अहम की समस्या हो जाती है, इतनी अधिक कि वे खुद को देश और समाज से ऊपर समझने लगते हैं .  
   

         इस देश में तमाम लोग हैं जो मोदी के विरोधी हैं. पर समस्या यह है कि यदि इन सभी ने आपके दिखाए हुए रास्ते पर चलने की ठान ली तो दो-तिहाई देश खाली हो जाएगा. कैसे,वह मैं आपको बताता हूँ. इस देश की कुल जनसंख्या के लगभग आधे ही मतदाता हैं यानी कि लगभग साठ करोड (ताजा आँकडों के अनुसार 2014 के लोकसभा चुनाव में 79 करोड मतदाता होने के  आसार हैं). इनमें से आधे से कुछ ही अधिक वोट डालने जाते हैं यानी अधिक से अधिक चालीस करोड. सन इक्यान्नबे के बाद होने वाले चुनावों का अनुभव बताता है कि जो भी पार्टी तीस प्रतिशत से अधिक वोट पा जाती है वह सरकार बनाने में सक्षम हो जाती है. यानी कि बीस करोड के लगभग वोट मिल जाएं तो इन्हें पाने वाला प्रधानमंत्री बन जाएगा. 2009 में आयोजित लोकसभा चुनावों में 11.9 करोड वोट पाकर कांग्रेस सरकार बनाने में सक्षम हो गई थी. इसके बाद दूसरे स्थान पर रही बी जे पी को 7.8 करोड वोट प्राप्त हुए थे. फिर अगर मोदी प्रधानमंत्री बन जाते हैं और उसके बाद अस्सी करोड से भी अधिक लोग आपकी तरह देश खाली करने लगे तो सवाल उठता है कि ये सब जाएंगे कहाँ, और कौन सा देश अपनी मिट्टी पलीद करवाने के लिए इन्हें जगह देगा. आपकी बात दूसरी है. आप नामी-गिरामी साहित्यकार हैं, आपको तो किसी भी देश में जगह मिल जाएगी.


          पर ऐसा कर आप साहित्यकार के कर्तव्य से मुँह मोडेंगे. किसी भी साहित्यकार का सबसे बडा अस्त्र उसकी कलम होती है. यह कलम जनमत का निर्माण करने में महती भूमिका का निर्वाह करती है.ऐसी क्या बात हो गई कि आपने साहित्यकार के सबल शस्त्र का उपयोग करने के स्थान पर पहले ही मैदान छोड दिया और देश ही छोडने का ऐलान कर दिया. फिर से छोटे मुँह बडी बात करने का दुस्साहस कर रहा हूँ- क्यों नहीं आप आप अपने मतवैभिन्य या विरोध को रचनात्मक आकार देते जो शायद जनता को या फिर मोदी को ही आपके अनुसार बदल जाने के लिए मजबूर कर दे.

          आपने कहा है कि मोदी दबंग नेता हैं और दबंग व्यक्ति कायरों की जमात खडी करता है. पर यहाँ आप भारतीय जनता को गलत आँक रहे हैं (क्षमा करें , एक बार छोटे मुँह बडी बात हुई जा रही है). दबंग इंदिरा गाँधी को इसी जनता ने जिसे आपके अनुसार कायर सिद्ध होना चाहिए था, सन सतहत्तर में सत्ता से बेदखल कर दिया था.

          आपसे मेरी अपील है कि आप मोदी से अपने विरोध को अमली जामा इसी देश में कलम का उपयोग कर पहनाएं, देश छोडने की बात कर तो आप उसी कायर जमात में खडे हो जाएंगे जिसकी सृष्टि आपके अनुसार दबंग करते हैं. दूसरे महानता ने कितने भी ऊँचे शिखर का स्पर्श क्यों न कर लिया हो, वह इतनी ऊँची कभी नहीं हो जाती कि उसके सामने देश क्षुद्र दिखने लगे. 

          जो भी गुस्ताखी हुई हो छोटा भाई समझ कर माफ कीजिएगा, छोटे मुँह बडी बातें करते-करते थक गया हूँ. दादा,आशा करता हूँ कि आप मेरी बातों पर गौर फरमाएंगे.   

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें