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सोमवार, 17 जून 2013

असली समाजवाद! (व्यंग्य/Satire)

           जुम्मन शेख मेरे पुराने  साथी हैं.उनका एक उसूल है कि अगर कोई तुम्हारा ख्याल करे तो  तुम उसका ख्याल जरूर करो,अगर कोई तुम्हारे ऊपर अहसान करे तो तुम उसके इस अहसान का बदला चुकाने का मौका मत छोडो.  वो बताते हैं कि उन्हें यह बात उनके अब्बूजान ने बताई थी जो खुद भी इस  उसूल पर चलते थे. उनके कुनबे के लोग  आजादी के पहले से कंकडबाग, पटना में रहते आए थे. आजादी मिलने के बाद जुम्मन  के चाचा-ताऊ सब पाकिस्तान  चले गए पर जुम्मन  के अब्बूजान ने हिंदुस्तान नहीं छोडा क्योंकि उन्हें पंडित जवाहरलाल नेहरू के इस वायदे पर भरोसा था कि  आजाद हिंदुस्तान में  हिंदू और मुसलमान दोनों का दरजा बराबरी का होगा.आजादी के बाद सालोंसाल जुम्मन  के अब्बूजान उस वायदे का ख्याल करके कांग्रेस को वोट देते रहे .सन सरसठ में भी उन्होने कांग्रेस का दामन नहीं छोडा  जब पहली बार उनकी बिरादरी के कुछ लोगों ने बढती मंहगाई से तंग आकर  कांग्रेस के खिलाफ वोट डाला. जयप्रकाश  नारायण का जब आंदोलन चला तो जुम्मन के अब्बू ने कहा- कुछ भी होता रहे हमारा वोट तो इंदिरा को ही मिलेगा,आखिर वो जवाहरलाल की बेटी है.पर जुम्मन के अब्बू अपनी इस बात पर कायम नहीं रह पाए क्योंकि इमरजेंसी लगने के बाद जुम्मन के मामू जो कालेज में पढाते थे और दो बेटों तथा दो बेटियों, कुल चार संतानों के भरे-पूरे परिवार के मालिक थे पकड कर जेल  में बंद कर दिए गए.वजह ये थी कि उन्होने जबर्दस्ती बंध्याकरण आपरेशन किए जाने के विरोध में बयान दिया  था और उन्हे जेल से तब छोडा गया जब उन्होने खुद का बंध्याकरण  आपरेशन करा लिया.तब से ही जुम्मन के अब्बू को  लगने लगा कि कहीं ढलती उम्र के बावजूद बंध्याकरण आपरेशन के लिए उनका  भी नंबर न  लगा दिया जाए जबकि  वो डरपोक इतने  थे कि एक बार फोडा हो जाने पर जब डाक्टर ने उसका आपरेशन  करने के लिए कहा तो उन्होने चीर-फाड के डर के मारे साफ इंकार कर दिया था,भले ही बाद में पस पड जाने के कारण वे उसकी तकलीफ को महीने भर झेलते रहे और ऐंटीबॉयटिक इंजेक्शन लगवाते  रहे.इसलिए इमरजेंसी के बाद जब वोट पडे  तो उन्होने उन्ही जयप्रकाश नारायण के अनुयाइयों को  वोट दिया जिन्हे वे पहले बच्चों की पढाई-लिखाई बरबाद करने के लिए कोसते थे.पर जनता सरकार के समय में जो दंगे-फसाद और अराजकता के दर्शन हुए कि उन्होने फिर इन्हे वोट देने से तोबा  कर ली और सन अस्सी में फिर इंदिरा गाँधी को वोट दिया.इंदिरा के बाद उन्होने राजीव के लिए वोट दिया .पर उनका एक बार  फिर राजीव  की तरफ से दिल टूटा जब रामजन्मभूमि का शिलान्यास हुआ.पर इसके पहले कि 1989 में वोटिंग हो, वो बीमार  पडे और  उनका इंतकाल हो गया.इंतकाल के पहले उन्होने जुम्मन को पास बुलाया और बोले बेटा मेरे बाद मेरे उसूल ही मेरी धरोहर हैं ,तुम उन्हे निभाते रहना.अब तक जुम्मन इक्कीस के हो चुके थे और उनका नाम  भी वोटर लिस्ट में आ गया था.जुम्मन को अब्बाजान के दर्द का और उनकी कही बातों का ध्यान था.इसलिए उन्होने अपना वोट जनता पार्टी को दिया.लालूजी बिहार के  मुख्यमंत्री बने.लालूजी ने सदैव मुस्लिम भावनाओं का ध्यान रखा.इसलिए जुम्मन   उनको ही वोट देते रहे.पर जब अराजकता बहुत बढ गई और अपने आस-पास घटित हो रही घटनाओं  को देखकर जुम्मन को अपने जान-माल की सुरक्षा  का भय सताने लगा तो उन्होने  2004 में वो कर डाला जो उनके खानदान में किसी ने नहीं किया था.उन्होने उन्ही आडवाणी  की पार्टी के लिए वोट डाला जिन्हे लालूजी ने 1989 में तब गिरफ्तार कर लिया था जब वो अयोध्या में राममंदिर  बनवाने के लिए एक रथ पर सवार होकर उनके राज्य में घुसे थे  और ये खबर पाकर बीमारी के कारण खटिया पकड चुके उनके अब्बजान खुश हुए थे.दरअसल  वजह यह थी कि  जनता दल(यू) और बी जे  पी के गठजोड ने नितीश की पेशकश मुख्यमंत्री के तौर पर की थी , इसलिए जुम्मन को भरोसा था कि गुजरात जैसा कुछ बिहार में नहीं होगा और फिर अगर ऐसा कुछ होता भी है तो  अगले इलेक्शन में लालू के लिए  वोट देने से उन्हे कौन रोक सकता था.पर अगले इलेक्शन में उन्हे लालू को वोट देने की जरूरत नही पडी क्योंकि ऐसा कुछ हुआ नहीं और जुम्मन का जो भरोसा अपनी जान-माल की हिफाजत पर से उठ गया था वो वापस लौट आया था.

          पर आज थोडी देर पहले जुम्मन का फोन मेरे पास आया था.जुम्मन कह रहे थे -" समझ में नही आ रहा है क्या करूँ.कांग्रेस  का कहना  है कि मोदी रूपी राहु-केतु के प्रकोप से  वही मुसलमानों को बचा सकती है,लालू का कहना है कि असली जवाँ-मर्द मैं ही हूँ,आखिर आडवानी की  गिरफ्तारी का दम मेरे अलावा और किसमें था  और अब नितीश का कहना है कि  मुसलमानों के लिए सबसे बडी कुर्बानी तो मैंने दी है,बहुमत वाली सरकार से अल्पमत वाली सरकार का मुख्यमंत्री बन गया  हूँ."

          मैंने कहा-"जुम्मन भाई जो आग पटना में लगी है वही लखनऊ में भी लगी हुई है.कांग्रेस कह रही है कि ब्राह्मणों की असली पुरानी पार्टी वही है.बी जे पी का कहना है  कि धर्म की रक्षा का जिम्मा उसका है और ब्राह्मणों को धर्म की रक्षा के लिए उसके ही साथ रहना चाहिए.माया बहन कह रही हैं कि जब सब ब्राह्मणों की मान- मर्यादा का हनन कराने में लगे थे तो उन्होने ही ब्राह्मणों को उनकी प्रतिष्ठा वापस दिलवाई और मुलायम भैया ब्राह्मणों का यशोगान करते हुए कह रहे हैं कि  ब्राह्मणों ने सदैव देश का  उद्धार किया  है और फिर देश को बचाने के लिए उनके साथ आएं.यही असली समाजवाद है जुम्मन भाई,जब हर पार्टी के लिए हर धर्म और  जाति बराबर महत्वपूर्ण हो जाए!भगत सिंह,पं.जवाहरलाल  और लोहिया सभी ने इसी समाजवाद की  कल्पना की रही होगी!उसूलों की ज्यादा फिक्र न करो और अगर उसूलों की ज्यादा फिक्र है  तो ऐसा करो  कि इलेक्शन में तुम मेरे खिलाफ खडे हो जाओ और मैं तुम्हारे खिलाफ खडा हो जाता हूँ .तुम मेरे लिए वोट डाल देना  और मैं तुम्हारे लिए वोट डाल दूँगा.तुमने मेरे ऊपर जो अहसान किया होगा वह चुकता हो जाएगा और मैंने तुम्हारे ऊपर जो अहसान  किया होगा वह सब चुकता हो जाएगा और उसूलों का पालन करने के कारण हमारे पितरों की आत्माएं भी प्रसन्न हो जाएंगी."

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